भारत प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR) का 35वां सदस्य Speech in Hindi

भारत प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR) का 35वां सदस्य Speech in Hindi

प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी नियत्रंण व्यवस्था (MTCR) का उद्देश्य बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र तथा अन्य मानव रहित आपूर्ति प्रणालियों के विस्तार को सीमित करना है जिनका रसायनिक, जैविक और परमाणु हमलों में उपयोग किया जा सकता है। जी-7 समूह के सदस्य राष्ट्रों कनाडा, फ्रांस, इटली, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा इस व्यवस्था का गठन अप्रैल 1987 में किया गया था।

एमटीसीआर व्यवस्था के 34 सदस्यों में दुनिया के ज्यादातर प्रमुख प्रक्षेपास्त्र निर्माता देश शामिल हैं। यह व्यवस्था अपने सदस्यों से अनुरोध करती है कि वह अपने प्रक्षेपास्त्र निर्यात एवं 500 किग्रा भार और कम-से-कम 300 किमी तक ले जाने में सक्षम या सामूहिक विनाश के किसी भी प्रकार के हथियार की आपूर्ति करने में सक्षम संबंधित प्रौद्योगिकी को सीमित करें। वर्ष 2008 से भारत उन पाँच देशों में से एक है जो एमटीसीआर का एकतरफा पालन कर रहे हैं। 29 जून से 2 जुलाई, 1992 में ओस्लो में संचालित एक बैठक में इसके नियंत्रण में सभी प्रकार के मानव रहित विमानों, जिनसे जन-विध्वंसक शस्त्रों को छोड़ा जा सकता है, को शामिल किया गया। इसको दो अलग-अलग वर्गों, उपकरण और सॉफ्टवेयर में बाँटा गया। 27 जून, 2016 को इस समूह ने भारत को पैंतीसवां सदस्य देश स्वीकार करने की घोषणा की है। भारत के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि 

है। इसके साथ ही भारत अत्याधुनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी को सरलतापूर्वक रूस और अमेरिका जैसे देशों से हासिल कर सकेगा।

भारत को लाभ

सदस्यता हासिल करने के बाद भारत को सदस्य देशों से अत्याधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी हासिल करने तथा रूस के साथ संयुक्त रूप से विकसित ब्रह्मोस मिसाइल को निर्यात करने की छूट मिल गयी है। इस व्यवस्था में सदस्य देशों को 300 किलोमीटर से अधिक रेंज के प्रक्षेपास्त्रों के निर्यात की अनुमति नहीं है। भारत में विकसित ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र की रेंज 290 किलोमीटर है इसलिये भारत अब इस प्रक्षेपास्त्र को निर्यात करने में समर्थ होगा। अफगानिस्तान में तालिबान पर घातक मार करनेवाले प्रीडेटर ड्रोन भी अब भारत को मिल सकेंगे।

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