
स्मार्ट सिटी की अवधारणाएं Speech in Hindi
स्मार्ट सिटी का नमूना 80 के दशक के उत्तरार्द्ध में शहरी संदर्भों को समझने के साधन के रूप में सामने आया और उसके बाद से वे विभिन्न संदर्भों में तेजी से विकसित होते गए। टाउनसेंड के अनुसार ‘स्मार्ट सिटी वे स्थान हैं, जहाँ नई और पुरानी समस्याएँ दूर करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) को जोड़ दिया जाता है।
स्मार्ट सिटीज मिशन
2005 में जेएनएनयूआरएम (जवाहरलाल नेहरु राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन) आरंभ हुआ, जिसे एक दशक बाद 2015 में स्मार्ट सिटी मिशन एवं अमृत (अटल मिशन फॉर रिजुवनेशन एण्ड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन) जैसे कार्यक्रमों में बदल दिया गया। जेएनएनयूआरएम पहले की शहरी नीतियों एवं कार्यक्रमों से काफी अलग था क्योंकि इसमें भारत के आर्थिक विकास में शहरों की महत्ता इस दृष्टि से मानी गई थी कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग दो तिहाई शहरी क्षेत्रों से ही आता है।

स्मार्ट सिटीज मिशन 2015-16 से 2019-20 के बीच 100 से अधिक शहरों को अपने दायरे में लेगा। स्मार्ट सुविधाओं की लंबी सूची में से कुछ हैं ई-प्रशासन तथा इलेक्ट्रॉनिक सेवा आपूर्ति, वीडियो के माध्यम से अपराधों की निगरानी, जलापूर्ति प्रबंधन के लिए स्मार्ट मीटर, स्मार्ट पार्किंग तथा यातायात का चतुराई भरा प्रबंधन। स्मार्ट सुविधाएँ देने से शहर बुनियादी ढांचा तथा सेवाएं सुधारने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी एवं जानकारी का प्रयोग कर सकेंगे। स्मार्ट सिटीज मिशन का क्रियान्वयन विशेष उद्देश्य उपक्रम (एसपीवी) की सहायता से होगा, जिसका नेतृत्व पूर्णकालिक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) करेंगे। इसमें केन्द्र, राज्य सरकारों एवं स्थानीय प्रशासनों द्वारा मनोनीत व्यक्ति शामिल होंगे। यह एसपीवी कंपनी अधिनियम-2013 के अंतर्गत शहर के स्तर पर लिमिटेड कंपनी होगी। केन्द्र सरकार आरंभ में 194 करोड़ रुपए का अनुदान देगी और इतना ही अनुदान राज्य सरकार से भी प्राप्त होगा। स्मार्ट शहर के लिए आगे का अनुदान उसके प्रदर्शन पर निर्भर करेगा। कुल 100 स्मार्ट शहरों का चयन स्मार्ट सिटी प्रस्ताव आमंत्रित कर प्रतियोगिता के आधार पर होगा। स्मार्ट शहर के विकास के विभिन्न चरण में बड़ी संख्या में सलाहकार फर्मों तथा अन्य एजेंसियों का सहयोग लिया जाएगा। आगे चलकर ये शहर अपने मुख्य आर्थिक गतिविधियाँ जैसे स्थानीय व्यंजन, स्वास्थ्य, शिक्षा, कला एवं शिल्प, संस्कृति, खेल के सामान, फर्नीचर, होजरी, टेक्सटाइल आदि के आधार पर ब्रांड और पहचान हासिल कर लेंगे। उस स्थिति में ये आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकते हैं और अपने नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता सुधार सकते हैं।